हंसते-खेलते दो मासूम घर का आंगन सूना कर गए…माता-पिता का साया सिर से उठ गया…बहन भी साथ छोड़ गईं… अर्धांगिनी और छोटा भाई अस्पताल में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। नियती ने ऐसा क्रूर मजाक किया कि जिंदगी पहाड़ सी हो गई। एक-एक पल बरसों जैसे कट रहे। महज एक सप्ताह में एक के बाद एक पांच जनों को हमेशा के लिए खो दिया।

11 दिन में 25 अंतिम संस्कार
भुंगरा गांव में पिछले 11 दिन में 25 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीणों के लिए जिंदगी का यह सबसे भयावह मंजर है। गांव के लोग भी अत्यंत व्यथित है। हादसे में अब तक 35 मौतें हो चुकी हैं। इनमें 10 मृतक अन्य गांवों के हैं।
घर अब घर नहीं रहा, दीवारें काटने को दौड़ रहीं
मेरिया रामसिंह नगर गांव का 13 वर्षीय रावलसिंह। उसके लिए घर अब घर नहीं रहा। घर की दीवारें काटने को दौड़ती है। घर में न रुठने वाला और न ही मनाने वाला। अब छोटे भाई लोकेन्द्र के साथ खेलना-कूदना भी कभी नहीं होगा। उसकी जिंदगी में न मां की डांट-फटकार होगी और न ही दुलार। रावल के पिता का पांच साल पहले देहांत हो गया था। गैस त्रासदी में मां जस्सूकंवर और छोटा भाई लोकेन्द्र उसे हमेशा के लिए छोड़ गए। अब रावल घर में अकेला रह गया। खेलने-कूदने की उम्र में उसकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया कि सब कुछ बदल गया।